वांछित मन्त्र चुनें

को व॒: स्तोमं॑ राधति॒ यं जुजो॑षथ॒ विश्वे॑ देवासो मनुषो॒ यति॒ ष्ठन॑ । को वो॑ऽध्व॒रं तु॑विजाता॒ अरं॑ कर॒द्यो न॒: पर्ष॒दत्यंह॑: स्व॒स्तये॑ ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

ko vaḥ stomaṁ rādhati yaṁ jujoṣatha viśve devāso manuṣo yati ṣṭhana | ko vo dhvaraṁ tuvijātā araṁ karad yo naḥ parṣad aty aṁhaḥ svastaye ||

पद पाठ

कः । वः॒ । स्तोम॑म् । रा॒ध॒ति॒ । यम् । जुजो॑षथ । विश्वे॑ । दे॒वा॒सः॒ । म॒नु॒षः॒ । यति॑ । स्थन॑ । कः । वः॒ । अ॒ध्व॒रम् । तु॒वि॒ऽजा॒ताः॒ । अर॑म् । क॒र॒त् । यः । नः॒ । पर्ष॑त् । अति॑ । अंहः॑ । स्व॒स्तये॑ ॥ १०.६३.६

ऋग्वेद » मण्डल:10» सूक्त:63» मन्त्र:6 | अष्टक:8» अध्याय:2» वर्ग:4» मन्त्र:1 | मण्डल:10» अनुवाक:5» मन्त्र:6


बार पढ़ा गया

ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (विश्वेदेवासः) हे सब विषयों में प्रविष्ट विद्वानों ! (मनुषः-यति-स्थन) तुम मननशील जितने हो (यं जुजोषथ) जिस परमात्मा को तुम उपासित करते हो-सेवन करते हो (वः) तुम्हारे मध्य में (कः स्तोमं राधति) कौन स्तुतियोग्य परमात्मा को साधित करता है-साक्षात् करता है (वः) तुम्हारे मध्य में (तुविजाताः) बहुत प्रसिद्ध विद्वान् (वः) तुम्हारे मध्य में (कः) कौन (अध्वरम्-अरं करत्) अध्यात्मयज्ञ को पूर्ण करता है (यः-अंहः पर्षत्) जो पाप से हमें पार करता है (स्वस्तये) कल्याण के लिए ॥६॥
भावार्थभाषाः - विद्वानों के पास जाकर के अपने कल्याणार्थ उनसे जिज्ञासा प्रकट करे और कहे कि आप महानुभाव समस्त विद्याओं में प्रविष्ट हो, हम कैसे पाप से पृथक् रहें और परमात्मा का साक्षात्कार कैसे करें, यह हमें समझाइये, जिससे हम कल्याण को प्राप्त कर सकें ॥६॥